Soyabin Varieties 2023: भारत में मानसून दस्तक दे चुका है। मानसून जल्द ही भारत के सभी राज्यों में बारिश कर देगा और उसके बाद किसान खरीफ सीजन में फसल बुवाई की तैयारियां शुरू कर देंगे। मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में किसानों द्वारा खरीफ सीजन में बड़े क्षेत्र में दलहन की मुख्य फसल सोयाबीन की बुवाई करते हैं। किसानों को मानसून की बारिश का अंदाजा नहीं होता है कि इस वर्ष किस क्षेत्र में कितनी बारिश होगी। मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार किसान सोयाबीन की फसल उगा देते हैं लेकिन बाद में मौसम बिगड़ने से किसानों की फसल बर्बाद हो जाती है। आज हम आपके लिए इसी समस्या का समाधान एवं सोयाबीन की 3 ऐसी उन्नत किस्में लेकर आए हैं जो आपको किसी भी स्थिति में बंपर पैदावार देगी। चलिए जानते हैं इन किस्मों के नाम और विशेषताएं…
सोयाबीन की यह 3 किस्में देंगी आपको बंपर पैदावार
सोयाबीन की उन्नत किस्में 2023: मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में बारिश होने के बाद सोयाबीन की बुवाई शुरू हो जाएगी। भारत में प्रतिवर्ष औसतन 25 जून से कई राज्यों में सोयाबीन की बुवाई शुरू हो जाती है। कुछ किसानों को सोयाबीन की उन्नत किस्म की जानकारी होती है लेकिन कुछ किसान ऐसे होते हैं जो बिना जानकारी के सोयाबीन की बुवाई कर देते हैं और बाद में नुकसान का सामना करना पड़ता है लेकिन आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से सोयाबीन की 3 ऐसी उन्नत किस्मों की जानकारी देंगे जो आपको इस सीजन में काफी कम लागत में अच्छी पैदावार कर मालामाल बना सकती है। चलिए सोयाबीन की इन तीन सर्वश्रेष्ठ किस्मों के नाम और विशेषताएं जानते हैं।
Soyabin MACS 1407 variety ( सोयाबीन की एमएसीएस 1407 किस्म की जानकारी )
MACS 1407 variety: सोयाबीन की एमएसीएस 1407 किस्म एक ऐसी किस्म है जो आपको किसी भी स्थिति में अच्छी पैदावार देने की क्षमता रखती है। सोयाबीन की यह किस्म मुख्य रूप से भारत के असम, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पूर्वोत्तर राज्यों में अधिक उपयोग में ली जाती है। इस किस्म की खास बात यह है कि वैज्ञानिकों द्वारा सोयाबीन की इस किस्म को इस प्रकार से तैयार किया गया है कि इसके बीज एवं फसल पर गर्डल बीटल, लीफ माइनर, लीफ रोलर, स्टेम फ्लाई, एफिड्स, व्हाइट फ्लाई और डिफोलिएटर जैसी कई बीमारियों का असर नहीं होता है। इससे किसानों का खर्चा कम होता है और किसानों को अच्छी पैदावार भी मिलती है। सोयाबीन की यह किस्म अधिकांश 20 जून से 5 जुलाई बोई जाती हैं। सोयाबीन की एमएसीएस 1407 किस्म की क्षमता की बात की जाए तो यह किस्म 104 दिन में तैयार होकर 39 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन देती है।
Soyabin RKS 45 variety ( सोयाबीन की प्रताप सोया-45 किस्म की जानकारी )
Soyabin RKS 45 variety: सोयाबीन की प्रताप सोया-45 किस्म एक ऐसी किस्म है जो आपको तेज गर्मी के दौरान भी अच्छी पैदावार देने की क्षमता रखती है। इसी खासियत की वजह से सोयाबीन की इस किस्म को राजस्थान के किसानों द्वारा अधिक बोया जाता है। राजस्थान के वातावरण में यह सोयाबीन काफी अच्छी पैदावार देने की क्षमता रखती है। इसकी खास बात यह है कि इसके फूल सफेद रंग के होते हैं। सोयाबीन की प्रताप सोया-45 किस्म के बीज का रंग काफी पीला होता है, और इसका कवच भूरे रंग का होता है। इस किस्म की एक और खास बात यह है कि यह पानी की कमी को सहन कर सकती है। अगर किसान द्वारा कुछ मात्रा में उर्वरक दे दिया जाए तो यह किस्म आपको रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन दे सकती है। सोयाबीन की प्रताप सोया-45 किस्म की क्षमता देखी जाए तो यह किस्म 90-98 दिन में पककर तैयार हो जाती है और 35 क्विंटल तक पैदावार देने की क्षमता रखती है।
Soyabin JS 2034 variety ( सोयाबीन की जेएस 2034 किस्म की जानकारी )
Soyabin JS 2034 variety: सोयाबीन की वैरायटी किसानों को तब काम में आती है, जब देश में समय से पहले मानसून आ जाता है और बारिश कर देता है। सोयाबीन की वैरायटी को मुख्य रूप से 15 से लेकर 30 जून तक बोया जाता है। सोयाबीन की यह किस्म किसी भी स्थिति में अच्छी पैदावार दे सकती है इसलिए सोयाबीन की यह वैरायटी पूरे देश में पाई जाती है। सोयाबीन की वैरायटी का दाना बड़ा और पीले रंग का होता है वही इसके फूल सफेद एवं फलियां फ्लैट देखी जाती है। सोयाबीन की इस वैरायटी की खास बात यह है कि यह कम बारिश होने पर भी किसानों को अच्छा उत्पादन दे सकती है। सोयाबीन की जेएस 2034 किस्म की क्षमता पर नजर डाली जाए तो सोयाबीन की यह वैरायटी करीब 85 दिन में तैयार होकर 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देने की क्षमता रखती है। किसानों को इस वैरायटी की सोयाबीन का भाव भी काफी अच्छा मिलता है।
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