मध्यप्रदेश में मानसून कब आएंगा: भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां पर करोड़ों की संख्या में किसान खेती कर अपना जीवन व्यतीत करते हैं। भारत को टेक्नोलॉजी से ज्यादा जुगाड़ के मामले में अधिक जाना जाता है क्योंकि भारत में प्रत्येक चीज का टेक्नोलॉजी के साथ-साथ जुगाड़ी रिजल्ट भी सामने आता है। किसान भी महंगी मशीनों को खरीदने की बजाएं घर पर ही जुगाड़ तैयार कर लेते हैं जो महंगी मशीनों के बराबर कार्य करता है और पर्यावरण को नुकसान भी नहीं पहुंचाता है। इस कार्य में किसानों को भी पर्यावरण की मदद मिलती है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि एक पक्षी है जो मौसम विभाग से भी पहले मानसून आने का संकेत दे देता है। चलिए जानते हैं इसका नाम और इसकी खासियत।
मानसून का संकेत देने वाला पक्षी साल में सिर्फ एक बार पीता है पानी
Kisan News: आपको इस बात पर विश्वास नहीं होगा कि किसानों को मानसून आने का संकेत देने वाला पक्षी साल में सिर्फ एक बार पानी पीता है और उसके बाद यह पूरा साल बिना पानी पिए ही रहता है। इस पक्षी में इतनी क्षमता पाई जाती है कि यह बिना पानी पिए पूरा 1 साल गुजार सकता है और यह अपना पूरा जीवन ऐसे ही व्यतीत करता है। सभी पक्षियों में इस पक्षी को सबसे अलग माना जाता है क्योंकि इस पक्षी में कई ऐसी खूबियां पाई जाती है जिनको सुनकर वैज्ञानिक भी हैरान रह जाते हैं। इस पक्षी की सबसे अच्छी और उत्तम खासियत यह है कि यह पक्षी मौसम विभाग से भी पहले एवं मौसम विभाग से सटीक मानसून आने की जानकारी दे सकता है। चलिए जानते हैं पक्षी कैसे देता है मानसून आने का संकेत…
किसानों के लिए सबसे खास है यह पक्षी
किसान समाचार: किसान एकमात्र ऐसा व्यक्ति है जिसे मानसून समय पर आने की चाह होती है क्योंकि समय पर मानसून आने के बाद ही किसान अपनी खेती का कार्य आगे बढ़ा पाता है। किसानों को मानसून आने का संकेत जैकोबिन कोयल यानी जातक नामक पक्षी देता है जो साल में सिर्फ एक बार पानी पीता है। लोकल भाषा में इसे पपीहा भी कहा जाता है और भारत में विभिन्न स्थानों पर इस पक्षी को विभिन्न नामों से जाना जाता है। जैकोबिन कोयल की दो प्रजातियां मुख्य रूप से भारत में पाई जाती है जिसमें पहले दक्षिणी इलाकों में पाई जाती है और दूसरी प्रजाति मानसूनी हवाओं के साथ साथ अरब सागर को पार कर अफ्रीका से उत्तर और मध्य भारत आती है और किसानों को मानसून आने का संकेत दे जाती है। किसानों के लिए इस पक्षी को खास माना जाता है क्योंकि किसान मौसम विभाग से अधिक इस पक्षी पर विश्वास करते हैं।
साल में एक बार पानी पीने वाला एकमात्र पक्षी कीटों के सहारे बिताता है अपना जीवन
जैकोबिन कोयल: जैकोबिन कोयल नामक पक्षी साल में सिर्फ एक बार पानी पीता है और यह अपना पूरा साल बिना पानी पिए बिताता है। जैकोबिन कोयल के खाने की बात की जाए तो यह पक्षी सिर्फ फल या कीटों के सहारे अपने जीवन को व्यतीत करते हैं। मुख्य रूप से जैकोबिन कोयल का खाना कीटों को माना जाता है। कीटों में टिड्डे-भृंगे भी इनका आहार होते हैं। यह पक्षी कई बार फल और जामुन खाते हुए भी नजर आए हैं। जैकोबिन कोयल की खास बात यह है कि यह पक्षी अपने अंडे दूसरे पक्षियों के घोंसले में देते हैं। भारत के सभी स्थानों पर यह पक्षी नहीं पाए जाते हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो यह पक्षी कोयल की प्रजाति में आते हैं हालांकि इनका रूप कोयल से हल्का अलग दिखाई देता है।
मानसून आने का संकेत दे देता है जैकोबिन कोयल
जैकोबिन कोयल: जैकोबिन कोयल बारिश होने से पहले जिस इलाके में मानसून आने वाला होता है वहां पहले ही यह लोगों को मानसून आने का संकेत दे देता है। मानसून आने से पहले जैकोबिन कोयल मानसूनी हवाओं के साथ-साथ उत्तर भारत में पहले ही पहुंच जाता है। जिस इलाके में मानसून आने वाला होता है वहां यह मानसून से पहले ही पहुंचकर किसानों को संकेत देता है कि कुछ समय में इलाके में बारिश होने वाली है। इन पंछियों को देख कर ही लोग समझ जाते हैं कि इलाके में मानसून का आगमन होने वाला है। कई लोगों को आश्चर्य होता है कि यह पक्षी कैसे मानसून का पता कर लेते हैं।