नमस्कार किसान भाइयो, todaymandibhav.in पर आपका स्वागत है, किसानों की सहायता के लिए सरकार ने ढेरों योजनाए चला रखी है, लेकिन जानकारी ना होने की वजह से हम उनका लाभ नहीं ले पाते है। बिन मौसम बरसात, ओला-वृष्टि जैसी प्राकृतिक समस्याओं के कारण किसान भाइयो की महीनों की मेहनत पानी में चली जाती है, लेकिन सरकार द्वारा इस समस्या के निजात के लिए एक योजना चला रखी है, जिसकी सम्पूर्ण जानकारी हम आपको देने वाले है।
मौसम आधारित फसल बीमा योजना : मौसम आधारित फसल बीमा योजना की शुरुआत माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 18 फरवरी 2016 को की थी। यह योजना प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत ही आती है। इस योजना के तहत मौसम आधारित फ़सलों की खेती करने वाले किसानों को विशेष परिस्थितियों के कारण फ़सल खराब होने पर नुकसान ना भुगतना पड़े इसलिए फ़सल बीमा प्रदान किया जाता है। इसके अंतर्गत फ़सल बीमा का प्रीमियम के भुगतान में किसान को मामूली सा हिस्सा और केंद्र और राज्य सरकार दोनों मिलकर बकाया प्रीमियम का भुगतान करते हैं। आज हम आपको इसी योजना से जुडी सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करने वाले है, कृपया अंत तक पढ़े।
मौसम आधारित फसल बीमा योजना का इतिहास –
मौसम आधारित फसल बीमा योजना : 18 फरवरी 2016 को मौसम आधारित फसल बीमा योजना की शुरुआत की गई थी। शुरुआत होते ही देश के 12 राज्यों ने खरीफ की फसल मे तो 9 अन्य राज्यों ने रबी(2016-17) की फसल मे इस योजना का कार्यान्वरयन किया गया था। शुरुआती वर्ष मे इस योजना के तहत 15 लाख किसानों की 16.95 लाख हेक्टेयर की भूमि पर 8536.53 करोड़ की बीमित राशि के लिए 983.96 करोड़ रुपये के प्रीमियम का भुगतान केंद्र सरकार द्वारा किया गया था। तब से लेकर अब तक प्रतिवर्ष रबी और खरीफ की फसलों में देश के करोड़ो किसानो को इस योजना के माध्यम से लाभान्वित किया जाता है और किसानो के फसल बर्बादी का मुआवजा प्रदान कर लाखो किसानों की आर्थिक रूप से मदद की जाती है।
बीमे के अंतर्गत चयनित फसले और प्रीमियम अंश –
खरीफ और रबी दोनों सीजन की कुछ चुनिंदा फ़सले ही मौसम आधारित फसल बीमा योजना के लिए पात्र है। जो की निम्नलिखित है : –
खरीफ :- पपीता, संतरा, केला, प्याज, मिर्च, बैंगन, टमाटर |
रबी :- आलू, फूलगोभी, अनार, पत्तागोभी, टमाटर, बैंगन, प्याज, हरीमटर, धनिया, लहसून, आम, एवं अंगूर।
अगर बात की जाये कि कृषक द्वारा कितना प्रीमियम अंश का भुगतान करना होगा तो , मौसम आधारित फ़सल बीमा योजना के अंतर्गत बीमा राशि के महज 5 प्रतिशत राशि का भुगतान किसान द्वारा किया जायेगा, इसके अलावा बकाया राशि का भुगतान केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा 50-50 प्रतिशत देय होगा।
इन विशेष परिस्तिथियों को किया जायेगा कवर –
मौसम आधारित फसल बीमा योजना : मौसम आधारित फ़सल बीमा योजना के अंतर्गत मौसम संबन्धित घटनाओं को कवर किया जाता है। आसान शब्दों में कहा जाये प्राकृतिक रूप में मौसम में फेर बदल होने की वजह से किसानो की फसलों के नुकसान का इस बीमा योजना के माध्यम से क्षति का परिपूर्ण किया जायेगा। हालाँकि आपकी स्पष्टता के लिए विभिन्न परिस्तिथियाँ निमिन्लिखित है :-
- बारिश/वर्षा(Rainfall) – बारिश में कमी या अधिकत्ता या फिर बेमौसम बारिश जैसी विभिन्न परिस्तिथियों के कारण फसल ख़राब हो जाना।
- तापमान(Temperature) – अधिक गरमी या अधिक सर्दी की वजह से फ़सल का ख़राब हो जाना।
- उमस/आद्रता(Humidity) – उमस/आद्रता की अत्यधिकता या कमी की वजह से फसल ख़राब होना।
- हवा(Wind) – आंधी और तूफान आने से फसल का ख़राब हो जाना।
- ओला-वृष्टि(Hailstrom) – प्रतिवर्ष ओला-वृष्टि के कारण सैकड़ो हेक्टेयर की फसल ख़राब हो जाती है। ओला-वृष्टि से फसल ख़राब हो जाने पर भी बीमा राशि मिलेगी।
- उपरोक्त परिस्तिथियों का संयोजन – ऊपर बताई गयी विभिन्न परिस्तिथियो के संयोजन से फसल ख़राब हो जाना भी बीमा के अंदर कवर किया जायेगा।
बीमा राशि एवं जोखिम की अवधि –
- DLTC/SLTC द्वारा बीमा राशि तय की जाती है।
- यह ऋणी और गैर-ऋणी किसानो के लिए बीमे के अंतर्गत मिलने वाली राशि बराबर ही होगी।
- SLCCCI द्वारा मौसम आधारित फसल योजना के माध्यम से मिलने वाली बीमा राशि पूर्व में घोषित कर दी जाती है।
- खेती के क्षेत्र के मापदंड के लिए हेक्टेयर का प्रयोग किया जाता है।
- वही अगर बात की जाये बीमा अवधि की तो, जोखिम की अवधि फसलों के बुवाई से लेकर फसलों के पकने तक की होती है। हालाँकि मौसम मानदंडों के अनुसार यह अवधि अलग अलग भी हो सकती है। लेकिन SLCCCI द्वारा पूर्व में किसानो को अधिसूचित भी किया जाता है।