Mungfali Crop: मूँगफली एक खरीफ की फ़सल है, इसकी बुवाई जुलाई के माह में मॉनसून के आने के बाद सभी फ़सलों की बुवाई के साथ ही की जाती है। मूँगफली की फ़सल अन्य सभी फ़सलों से काफी अलग हैं, इसलिए किसान बंधु कम लागत के साथ अधिक पैदावार के लिए इस लेख में दी गई मह्त्वपूर्ण जानकारी देखे। हम पोस्ट के माध्यम से पैदावार को कई गुना बढ़ाकर अधिक लाभ प्राप्त करने की विधि बताने वाले हैं।
उत्तम क्वालिटी के बीजों के चयन से बढ़ेगी पैदावार
मूँगफली फसल पैदावार: फ़सल बुवाई के लिए उत्तम क्वालिटी के बीजों का चयन करना पैदावार को कई गुना बढ़ा देता है। साथ ही बीज़ उपचार आने वाले रोगों से बचाव करने मे सहायक है। कमलेश चौधरी, कृषि अनुसंधान अधिकारी के अनुसार मूँगफली की बुवाई से पहले बीजों को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करे। यह सबसे अंतिम प्रक्रिया है, इसलिए इससे पूर्व मे कीटनाशी, फफूंदनाशी से बीज़ उपचार कर ले।
मूँगफली फ़सलों मे लगने वाले रोग एवं उनके संबधित उपचार
Mungfali Crop: ग्राहृय परीक्षण केन्द्र के उप-निदेशक श्री मनोज शर्मा के अनुसार मूँगफली खरीफ सीजन की विशेष तिलहन फ़सल है। आमतौर पर मूँगफली की बुवाई जून प्रथम पखवाड़े में की जाती है। फ़सल की अधिक से अधिक पैदावार पाने के लिए कीटनाशी, फफूंदनाशी, मृदा उपचार एवं बीजोंपचार पर खास ध्यान दे। साथ ही उत्तम क्वालिटी के बीज़ मुख्य है। मूँगफली की फ़सल को कई सारे रोगों एवं कीटों से बचाव के लिए रोग एवं कीट अनुसार उपचार करे।
मूँगफली मे गलकट रोग होने से पूर्व मे ही तैयार रहे किसान
मूँगफली फ़सल रोग उपचार: डॉ. जितेन्द्र शर्मा, कृषि अनुसंधान अधिकारी के अनुसार गलकट रोग एक ऐसा रोग है जिसमें फ़सल के पौधे मुर्झा कर नष्ट हो जाते हैं। नष्ट हुए पौधे को जड़ों एवं स्तंभ मूल संधि(कॉलर) मे काली फफूंदी पायी जाती है। गलकट रोग से बचाव के लिए किसान बंधु बीजोंपचार, मृदा उपचार, एवं रोग प्रतिरोधक किस्मों का उपयोग श्रेष्ट है।