Soyabeen Crop: सोयाबीन मुख्य तौर पर खरीफ की तिलहन फ़सल है। सोयाबीन सबसे ज्यादा मध्य भारत या मध्यप्रदेश में बोई जाती है, जिस वजह से मध्यप्रदेश को सोयाप्रदेश के रूप में भी जाना जाता है। हालाँकि मध्यप्रदेश के साथ महाराष्ट्र एवं राजस्थान में भी पैदावार की जाती है। इस वर्ष मॉनसून भी देरी से आया है, तो आगामी दिनों में सोयाबीन की बुवाई होने वाली है। इसलिए इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको सोयाबीन की सबसे उत्तम क्वालिटी की जानकारी देने वाले हैं, जो प्रति हेक्टेयर 35 से 40 क्विंटल की पैदावार होगी।
बीएस 6124 (BS-6124) सोयाबीन वैरायटी
BS-6124 Variety: मॉनसून देरी से आया है, तो मॉनसून देरी से ही जाएगा। इस वजह से लंबे समय मे पकने वाली सोयाबीन सबसे उपयुक्त है। सोयाबीन की बीएस 6124 (BS-6124) सोयाबीन वैरायटी 90 से 95 दिनों के अन्तराल में पक कर तैयार हो जाती है। बुवाई के लिए इस वैरायटी के बीजों की मात्रा 35 से 40 किलो प्रति हेक्टेयर पर्याप्त है। वही इसकी पैदावार 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन होता है। बता दें कि इस किस्म के फूल बैंगनी एवं पत्ते लंबे होते हैं।
जेएस 2069 (JS-2069) सोयाबीन वैरायटी
JS-2069 Variety: सोयाबीन की यह वैरायटी बम्पर पैदावार के साथ कम समय में पक कर तैयार हो जाती है। सोयाबीन की इस वैरायटी की 15 से 25 जून तक बुवाई की जा सकती है। बुवाई के लिए JS-2068 वैरायटी के बीजों की मात्रा 38 से 40 किलो प्रति हेक्टेयर पर्याप्त है। वही इसका उत्पादन 22 से 28 क्विंटल प्रति हेक्टर तक होती है।
केडीएस 726 (KDS-726)/फूले संगम सोयाबीन वैरायटी
KDS-726 Variety: KDS-726 सोयाबीन की एक ऐसी किस्म है, जो कि किसानो को अकेले ही मालामाल कर सकती है। सोयाबीन की इस किस्म की फली 3 दानों वाली एवं एक ही पौधे पर अधिकतम 350 फलियों तक लग सकती है। इस वैरायटी का पौधा भी अन्य वैरायटियो के पौधों के मुकाबले काफी मजबूत होता है। दाना मजबूत होने के कारण इसकी प्रति हेक्टेयर की उत्पादकता 35 से 45 क्विंटल तक होती है।